5 नैतिक मूल्य जरूर सिखाएं 5 साल की उम्र से पहले

By Editorial Team|5 - 6 mins read| July 27, 2020

ज्यादातर माता-पिता को लगता है कि नैतिक मूल्य जैसे कि ईमानदारी, सच्चाई, दूसरों का सम्मान करना आदि यह सब चीजें छोटे बच्चों को कैसे सिखाएंगे, ये तो उनके बड़े होने पर उनके काम में आएंगी। यह गलत अवधारणा है। बच्चों को पैदा होने के साथ से ही 5 नैतिक मूल्य जरूर सिखाने चाहिए।

बच्चों को अच्छे मूल्य, अच्छी परवरिश देना माता-पिता की ही जिम्मेदारी है। लेकिन इसकी शुरूआत कब और कैसे करें? इसका सबसे सरल जवाब है कि हमें बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसको नैतिक मूल्यों की जानकारी देनी शुरू कर देनी चाहिए और यह भी कोशिश करनी चाहिए कि 5 साल के होते-होते बच्चे इनका अनुसरण करना भी शुरू कर दें। (5 Values You Should Teach Your Child by Age Five in Hindi)

कौन से हैं ये 5 नैतिक मूल्य – Value You Should Teach your

1. ईमानदारी और सच्चाई

ईमानदारी या सच्चाई सिखा पाना बहुत आसान काम नहीं है और न ही इसका पालन कर पाना। लेकिन आपको अपने बच्चे को पल-पल ईमानदारी और सच्चाई के बारे में बताना चाहिए। शायद यही वजह है कि पहले के समय में माता-पिता अपने छोटे-छोटे शिशुओं को पंचतंत्र और रामायण जैसी कथाओं के बारे में बताते थे, जिनकी हर कहानी या अध्याय में सच्चाई और ईमानदारी की मिसालें मिलती हैं। आप भी चाहें तो अपने बच्चे को आज और अभी से ईमानदारी और सच्चाई से जुड़ी प्रेरक कहानियां जरूर सुनाएं या उनके वीडियोज दिखाएं।

बच्चे जो देखते-सुनते हैं, उनका पालन करना उनके लिए आसान होता है। इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों के लिए जरूरी हो जाता है कि वे अपने बच्चे को ईमानदार और सच्चा इंसान बनाने के लिए सबसे पहले खुद इन चीजों का अनुसरण करें। शायद आपको यकीन भी नहीं होगा, लेकिन जब आप किसी दूसरे व्यक्ति से बात करते हैं, चाहे वह फोन पर ही क्यों न हो रही हो, दूर किसी कोने में बैठे आपके बच्चे उसे सुन रहे होते हैं। बच्चे आपसे ही सीख रहे होते हैं कि किसी परिस्थिति की अनदेखी करने के लिए आपने कौन से बहाने दिए या कौन-सा झूठ बोला। इसीलिए कोशिश करें कि अपने बच्चों के सामने आप सच बोलें।

2. सही फैसला लेना

जब दो बच्चे आपस में लड़ते हैं तो अक्सर माता-पिता दोनों को या तो डांट देते हैं या फिर दोनों को ही अलग-अलग जगह पर जाने को कहते हैं। और अगर यही मामला कहीं किसी दूसरे के बच्चे के साथ हो तो शायद हम अपने बच्चे का पक्ष लेकर दूसरे बच्चे को डांट भी देंगे। लेकिन क्या आपने सोचा इससे आपके बच्चे को क्या सीख मिली? इसकी जगह आप अपने बच्चे को उसके लड़ने का कारण पूछते तो शायद यह उचित रहता। इसके साथ ही आप उसे लड़ने की जगह क्या किया जा सकता था, उसके बारे में भी समझाते।

छोटे बच्चे अपने मनोभावों को समझ नहीं पाते। लेकिन किसी परिस्थिति में उनकी ओर से दी गई प्रतिक्रिया अगर आज आपकी नजर में सही है तो कल आप बड़े होने पर उसे गलत नहीं बता सकते। जरूरी है कि आज ही बच्चे को उसकी गलती के बारे में बता कर उसे उसके लिए माफी मांगने को कहा जाए। बच्चों के लिए माफी मांगना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होता। आप बच्चे को उसके व्यवहार में परिवर्तन लाने के बारे में समझाएं, ताकि वह सही स्थिति में सही फैसला लेने के भी काबिल बने।

3. दृढ़ निश्चय

बच्चों में जहां एक्रागता बहुत कम समय के लिए होती है, वहीं आप उन्हें बार-बार नई-नई चुनौतियां लेने के लिए तैयार कर सकते हैं। बच्चों का अगर आत्म-विश्वास बढ़ाना हो तो जरूरी है कि उन्हें किसी भी कार्य के लिए खुद से निश्चय करना होगा कि वे यह काम कर सकते हैं। छोटे बच्चे वैसे भी माता-पिता से प्रोत्साहन पाने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं। जैसे ही आप बच्चे को उसके किसी अच्छे काम के लिए शाबाशी देते हैं, वे बार-बार उसी काम को करने लग जाते हैं। जैसे कि बार-बार एक ही पेंटिंग को बनाना।

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे में भी दृढ़ निश्चय का भाव पैदा हो तो आप उसके लिए उन्हें ऐसे कामों को करने के बारे में कहें, जिन्हें आसानी से पूरा नहीं किया जा सकता। जैसे कि आप अपने 4 साल के बच्चे को बोल सकते हैं कि वह एक बार में ही 1 से लेकर 50 तक की गिनती लिखे। हम जानते हैं कि बच्चे के लिए यह काफी मुश्किल काम है, लेकिन आपके समझाने और उसके निश्चय की वजह से यह भी संभव हो सकता है। और जब वह इस काम को पूरा कर ले तो उसकी तारीफ जरूर करें।

4. दूसरों की भावनाओं का रखें ध्यान

शायद आज जो एक नैतिक मूल्य सबसे कम देखने को मिलता है, वह है दूसरों की भावनाओं की कद्र न करना। सभी चाहते हैं कि जो उन्हें चाहिए या जो वे करना चाहते हैं उसे वे पहले हासिल कर लें, फिर दूसरों के बारे में सोचेंगे। लेकिन मौजूदा समय ने हमें यह भी अच्छे से समझा दिया है कि दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना भी कितना जरूरी है। आमतौर पर हम बच्चों की भावनाओं का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि हमें खुद की और परिवार के बाकी सदस्यों की भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

आमतौर पर घर में जब दो बच्चे होते हैं तो अक्सर माता-पिता छोटे बच्चे के रूठने, गुस्सा करने को ज्यादा तव्वजो देते हैं। खासतौर पर जब दोनों बच्चे आपस में रूठे हों। लेकिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बच्चे तो दोनों ही हैं, ऐसे में किसी एक का पक्ष लेना भी सही नहीं है। आप दोनों बच्चों की बात को सुनें और दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं को समझने को कहें आप छोटे बच्चे को समझा सकते हैं कि वह कम आवाज में गाने या टेलीविजन पर कोई कार्यक्रम देखे, ताकि बड़े बच्चे को पढ़ने में दिक्कत न हो।

5. प्यार करना सिखाएं

प्यार कभी किसी एक व्यक्ति या एक वस्तु पर निर्भर नहीं होता। आपका बच्चा है या आप उसके माता-पिता हैं तो आपके प्यार पर सिर्फ उनका अधिकार नहीं है। बल्कि प्यार हमेशा बांटना सिखाता है। अगर आप बच्चे को प्यार करते हैं, तो उसे बताएं कि आप उसके लिए सब कुछ अच्छा चाहते हैं, इसीलिए आप उन्हें खुद से दूर कर अच्छे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं।

ऐसे ही आप जिनसे भी प्यार करते हैं, आप उनके लिए चिंतित तो होते हैं, लेकिन आप उन्हें खुद से आगे बढ़ते हुए भी देखना चाहते हैं। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण पालतू पशु या पेड़-पौधे होते हैं। आप उन्हें दिखाएं कि कैसे जब कोई फूल खिलता है तो आपको कितनी खुशी होती है। इस तरह से माता-पिता अपने बच्चे की जिंदगी में दूसरों के प्रति भी प्यार की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं।

यहां पर बताए गए 5 नैतिक मूल्य किसी भी व्यक्ति के जीवन का आधार हो सकते हैं, जिनके साथ वे एक अच्छा बेटा/ बेटी ही नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनते हैं।


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