पॉकेट मनी देते समय न करें ये 7 गलतियां- 7 Mistakes to Avoid when Giving Pocket Money to Your Child in Hindi

By Ruchi Gupta|6 - 7 mins read| September 01, 2020

बच्चों को पैसों की कीमत सिखाने का एक बेहतर तरीका है, उन्हें पॉकेट मनी या जेब खर्च दिया जाए। इससे बच्चे निश्चित पैसों में ही अपने खर्च और बचत दोनों में संतुलन करना सीखते हैं। लेकिन पॉकेट मनी देते समय भी कभी-कभी माता-पिता कुछ गलतियां करते हैं। इनसे कैसे बचें आइए जानते हैं।

जब मेरी बेटी 7 साल की थी, तभी से मैंने उसे उसका मासिक जेब खर्च देना शुरू कर दिया था। पहले तो वह ज्यादातर अपने पैसों को जमा करने के बारे में सोचती थी, जिससे बाद में वह कोई भी अपनी पसंद का खिलौना ले सके। लेकिन कुछ समय बाद जब भी हम कहीं बाहर जाते तो वह अपने पैसों को कभी किसी झूले के लिए तो कभी किसी फालतू की चीज पर खर्च कर देती और फिर वही, महीने के खत्म होने से पहले ही उसकी पूरी की पूरी पॉकेट मनी खत्म हो जाती। इसी तरह कई महीनों के बीत जाने के बाद भी वह अपनी पसंद का खिलौना नहीं खरीद पाई, क्योंकि उसकी पॉकेट मनी को वो ज्यादातर बेकार की चीजों पर ही खर्च कर देती थीं।

क्यों जरूरी है पॉकेट मनी देना:

जब बच्चा अभी खुद से तैयार नहीं है, पैसों को संभालने के लिए तो हो सकता है कि आपके दिमाग में भी यह सवाल उठे कि ऐसे में बच्चे को पॉकेट मनी देने से क्या लाभ?

  1. बच्चे को पॉकेट मनी के साथ आप वित्त या फाइनेंस की छोटी-छोटी बारीकियों को सीखा सकते हैं।
  2. इससे बच्चे को पैसे की कीमत, उसे संभालना और पैसों से जुड़ी जरूरतों को कैसे पूरा करते हैं, यह सीखने में मदद मिलेगी।
  3. बच्चे को खर्च और बचत दोनों के बारे में जानकारी मिलेगी। साथ ही बच्चा दोनों में संतुलन बनाना भी सीख पाएगा।
  4. अभी से जब आप अपने बच्चे को पैसों को संभालने का प्रशिक्षण देना शुरू करेंगे तो बच्चा जल्द ही पैसों के लिए जरूरी निर्णय लेने में आत्म-निर्भर भी बनेगा।
  5. पॉकेट मनी के साथ ही बच्चा जिम्मेदारी लेना भी सीखता है। यहां उसे समझ आता है कि अगर उसने जल्दबाजी में कुछ खरीदा तो उसे बाद में उसके लिए काफी कुछ छोड़ना पड़ सकता है।

इन 7 गलतियों को न दोहराएं:

1. गलती: अपनी पहुंच से अधिक पॉकेट मनी न दें।

आप जब भी बच्चे को पॉकेट मनी देन की बात करें तो अपनी जेब का भी पूरा ख्याल रखें। ऐसा न हो कि आप 10 साल के बच्चे को 2000 हजार रुपये महीना देने को तैयार हो जाएं। लेकिन क्या वाकई आपके लिए यह रकम सही है। इससे आपके मासिक बजट पर तो कोई फर्क नहीं आएगा।

इसके बदले आप पहले अपना बजट अच्छे से टटोल लें, क्योंकि एक बार पॉकेट मनी शुरू करने के बाद उसे रोका नहीं जाता। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अगर आपके घर में एक से अधिक बच्चे हैं तो आप दूसरे बच्चे के लिए कहां से पॉकेट मनी लाएंगे। अपने बच्चे को एक तय पॉकेट मनी बताएं और उसे हर माह सही समय पर देते रहें।

2. गलती: बहुत कम पॉकेट मनी देना।

जैसा बहुत ज्यादा जेब खर्च देने में समस्या है, वैसे ही बहुत कम देने से भी आपका बच्चा ज्यादा कुछ नहीं सीख पाएगा। पॉकेट मनी देने के साथ ही हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा पैसों को संभालना भी सीखे, लेकिन कम पॉकेट मनी से तो बेचारा बच्चा अपनी चीजें ही खरीद पाएगा।

इसकी बजाए आप अपनी वित्तीय स्थिति अपने बच्चे के साथ साझा करें और उसे उसकी उम्र के हिसाब से जेब खर्च दें। भले आपको अपने समय में 5 या 10 रुपये ही मिले हों, लेकिन आज स्थिति वैसी नहीं है। मान कर चलिए कि बच्चों को इसी पॉकेट मनी से अपने लिए स्कूल से संबंधित स्टेशनरी और खिलौने खरीदने होते हैं।

3. गलती: जेब खर्च का गणित न समझाना।

आमतौर पर अगर आप बच्चे को यह नहीं बताएंगे कि उन्हें उनकी पॉकेट मनी में से कितने पैसे किस चीज पर खर्च करने चाहिए तो वे एक साथ इतने पैसों को सिर्फ अपने शौक पर ही लगा दें। जैसे कि कुछ बच्चों को खाने का शौक होता है तो वे अपनी सारी पॉकेट मनी बाहर के व्यंजनों पर ही लगाएं, तो कुछ बच्चे सिर्फ स्टिकर और खिलौनों पर अपने पैसे खर्च करेंगे। इस तरह बच्चों को मिलने वाली पॉकेट मनी से वे कुछ भी सीख नहीं पाएंगे।

ऐसे में आप बच्चे के लिए कुछ नियमों को बनाएं, जिसमें उन्हें किस चीज पर कितना खर्च करना है, यह मालूम हो। जैसे कि वह खाने के लिए 20 प्रतिशत पॉकेट मनी खर्च कर सकता है, 20 प्रतिशत स्टेशनरी और डेकोरेशन पर, 30 प्रतिशत की वह बचत करे और 30 प्रतिशत किसी खिलौने आदि पर लगाए। आप पॉकेट मनी दे रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि आप उसे स्कूल में लंच न दें। आप उसे सेहतमंद बनाए रखने के लिए बताएं कि वह सप्ताह में एक ही दिन पैसे स्कूल कैंटीन में खर्च कर सकता है, बाकि नहीं।

4. गलती: बचत को लेकर अपने अनुभव न बताना।

हम सब को खर्च करना पहले दिन से ही आता है, लेकिन पैसों को कैसे बचाया जाता है यह सभी को मुश्किल लगता है। आप भी इसमें बच्चे की मदद करें।

अपने छोटी उम्र के बच्चों को ही पैसों की बचत के बारे में सिखाएं। उसे बताएं कि अगर उसे सप्ताह में 50 रुपये मिलते हैं तो वह उसमें से कम से कम 15 रुपये तो बचाए, जिससे वह बाद में अपनी पसंद का कुछ भी खरीद सकता है।

5. गलती: कभी पॉकेट मनी दी तो कभी नहीं दी।

बच्चों को समय पर पॉकेट मनी देना भी बेहद जरूरी है। आप कभी बच्चे को कुछ पैसे दे दें और बाकी बाद में ऐसा नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि आपने जब उसे थोड़े पैसे दिए तो उसने जल्दबाजी में पूरी खर्च कर दिए। यह भी हो सकता है कि टुकड़ों में मिलने वाले पैसों की वजह से आपका बच्चा कभी कोई योजना बना ही न पाए।

इसलिए आप हमेशा सही समय पर और पूरी पॉकेट मनी अपने बच्चे को दें। साथ ही अपने बच्चे के साथ बैठकर उसके जेब खर्च के लिए क्या करे और क्या न करे, की भी एक योजना बना लें। इससे आपके बच्चे को समय पर अपने काम करने याद रहेंगे और वह सभी चीजों को अच्छे से संभाल भी सकेगा।

6. गलती: जेब खर्च को बच्चे के व्यवहार से जोड़ना।

अक्सर माता-पिता बच्चे के अच्छे व्यवहार पर उसकी पॉकेट मनी को बढ़ा देते हैं तो कभी-कभी गलत या बुरे व्यवहार पर उसे कम भी कर देते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।

आप बच्चे में अगर अनुशासन लाना चाहते है। तो उसके लिए पॉकेट मनी कोई हथियार नहीं हो सकता। बल्कि आप अपने अच्छे और सकारात्मक व्यवहार से बच्चे को समझाने की कोशिश करें। पॉकेट मनी कोई इनाम नहीं है, जिसे बच्चे के कुछ गलत करने पर वापस लिया जा सके।

7. गलती: जेब खर्च को अन्य जगह इस्तेमाल करना।

आमतौर पर घरों में जब भी हमारे पास खुले पैसे नहीं होते या कम पैसे होते हैं तो हम बच्चे को कहते हैं कि वे अपनी पॉकेट मनी से अभी पैसे दे दे। लेकिन यह सही अभ्यास नहीं है। आप बच्चे को उसके पैसों से खाने-पीने, धोबी या दूध वाले को पैसे देने को न कहें।

घर के ये सभी खर्चे बच्चे से पूछ कर या बता कर नहीं किए जाते और पॉकेट मनी उसे उसके खर्च के लिए मिलती है। ऐसे में आप इन खर्चों के लिए बच्चे को न बोलें। हां, अगर आपको पैसे चाहिए ही तो आप बच्चे से मदद मांग सकते हैं और उसे कहें कि आप उसे जल्द ही यह पैसे लौटा देंगे।

आप बच्चे को अपने साथ बाहर घूमाने ले जाते हैं और वहां कुछ खरीद कर देते हैं तो यह आपका खर्च है न कि बच्चे का। ऐसे ही कई और भी खर्च हैं, जिन्हें पॉकेट मनी से जोड़ा नही जा सकता। साथ ही पॉकेट मनी देने का फेसला आपकी मर्जी से हुआ है, इसीलिए पॉकेट मनी जैसे विषय को गंभीरता से लें और अपने बच्चे को इसे संभालने और खर्च करने के बीच के संतुलन को बनाने में मदद करें।


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