इन 7 तरीकों के साथ सिखाएं बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करना

By Editorial Team|5 - 6 mins read| March 22, 2021

बच्चे या तो खुश नजर आते हैं या गुस्से में। लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे मनोभाव होते हैं, जिन्हें बच्चे महसूस तो कर रहे होते हैं, लेकिन उन्हें व्यक्त कर पाना बच्चों के लिए मुश्किल होता है। छोटे बच्चों को आप कैसे उनकी भावनाओं से परिचित करा सकते हैं आइए जानते हैं।

जब बच्चे छोटे होते हैं तब उन्हें सिर्फ अच्छा या बुरा लगने के अलावा और भी भावनाओं के बारे में बताया जा सकता है, जैसे कि वे उत्साहित हैं, दुखी हैं, डरे हुए हैं या फिर खुश हैं। वहीं बड़े बच्चों के साथ आप उनकी भावनाओं के लिए बेचैनी, घबराहट, झुंझलाहट या फिर शर्मीलापन जैसे शब्दों का भी प्रयोग कर सकते हैं। बच्चे भले अपने भावों को अलग-अलग बता न पाएं, लेकिन वे महसूस कर सकते हैं। ऐसे में आप उनकी मदद कर सकते हैं, उन्हें इन विभिन्न भावों को समझने और फिर व्यक्त करने में।

गतिविधियों के जरिये बच्चों को सिखाएं भाव व्यक्त करना

1. बच्चे के भावों को शब्द दें

माता-पिता बच्चे से बातचीत के दौरान उनके भावों को शब्द देने का प्रयास कर सकते हैं। जैसे अगर बच्चा कहे कि जब उसने मुझे मारा तो मैं रोने लगा। तब आप उसे बताएं कि आपको दर्द हुआ और आप दूसरे बच्चे के ऐसा करने पर दुखी थे। ऐसे में बच्चा दर्द और दुखी होने के भाव को समझ सकता है। इसी तरह जब बच्चा किसी नए खिलौने को देखकर खुश दिखे और तालियां बजाए तो आप उसे कहें कि वह काफी उत्साहित दिखाई दे रहा है। यहां उत्साह शब्द बच्चे को उसे सही भावों को व्यक्त करने में मदद करेगा।

2. बच्चे के साथ भाव दर्शाने वाले खेल खेलें

हम अपने बच्चे के हाव-भाव को देखकर जान जाते हैं कि वह कैसा और क्या महसूस कर रहा होगा। लेकिन यह बात आपके बच्चे के लिए भी जानना बहुत जरूरी है। इसीलिए इस बार आप अपने हाव-भाव से बच्चे को संकेत दें और उसे कहें कि वह सही भावना बताए। उदाहरण के लिएः

  • आंखों को मलते हुए रोना – दुख
  • ताली बजाते हुए कूदना – उत्साह
  • किसी अंग को पकड़ कर रोना – दर्द
  • किसी चीज को देखते हुए कांपना – डर
  • तेज कदमों से चलना – बेचैनी
  • मुंह लटकाना – उदासी
  • सिर पर हाथ रखना – परेशानी

3. कहानी के माध्यम से उन्हें भावनाओं के बारे में बताना

अक्सर हम अपने छोटे बच्चों को कहानियां सुनाते हैं। अधिकतर मामलों में हमारे शब्द ही हमारे भावों का रूप ले लेते हैं। ऐसे में अगली बार जब आप अपने बच्चे को कहानी सुनाएं तो उसे पूछें कि किसी भी स्थिति में कहानी के किरदार को कैसा अनुभव हो रहा होगा या किरदार की भावनाएं तब कैसी रही होंगी, क्या किसी भूतिया महल में घुसने के वक्त किरदार घबराया और डरा हुआ होगा या फिर किसी राजकुमार को देख कर राजकुमार को कैसा महसूस हो रहा होगा, वह सिर्फ खुश थी या राजकुमार को देखकर उत्साहित भी रही होगी।

4. बच्चों को अलग-अलग चेहरे बनाकर दिखाएं

चेहरे के हाव-भाव भी हमारी भावनाओं को काफी हद तक व्यक्त कर देते हैं। इसीलिए आप अपने बच्चे को उनके पसंदीदा किसी भी कार्टून कैरेक्टर के अलग-अलग चेहरे बनाकर दिखाएं और उनके पीछे उनकी भावना लिखें। जैसे कि आप किसी चेहरे पर आंखों के नीचे आंसूं बना सकते हैं जो दुखी होने का भाव व्यक्त करते हैं तो किसी चेहरे पर गालों पर लाली लगा सकते हैं, जो शर्मीलेपन की निशानी होता है।

5. बच्चों से भावों से जुड़ी स्थिति पूछें

दरअसल यह एक ऐसी गतिविधि है, जिसमें हम बच्चों को भाव पहले बताएंगे और उससे जुड़ी स्थिति उनसे पूछेंगे। इसके लिए आप उन्हें खाने की टेबल परया सोने के वक्त बिस्तर में बिताने वाले उन खास 10 मिनट में बातचीत के जरिये पूछ सकते हैं। जैसे कि आप अपने बच्चे को उत्साहित, गुस्सा, ईष्र्या, खुशी या फिर निराशा के बारे में पूछें। उन्हें कहें कि वे कोई ऐसी घटना बताएं, जिस समय वे इन भावों को अपने अंदर महसूस कर रहे थे।

6. बच्चों के साथ भावनात्मक फिल्म या कार्टून देखें

अक्सर हम मानते हैं कि बच्चों का इमोशनल होना गलत है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। जो बच्चा महसूस करता है, उसे व्यक्त करना कैसे गलत हो सकता है। आप चाहें तो अपने बच्चों को विभिन्न इमोशंस से जुड़ी बच्चों के लिए खासतौर पर बनाई गई फिल्में या कार्टून्स देखें। इन्हें देखने से भी बच्चे को न सिर्फ अपनी भावनाओं को समझने में बल्कि उन्हें व्यक्त करने में भी मदद मिलती है। अगर वे अपने मम्मी-पापा को प्यार करते हैं तो वे उन्हें गले लगाकर या उनके गाल पर चूमकर उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बता सकते हैं।

7. भावनाओं से जुड़ी कविताएं या गीत सुनाएं

नर्सरी की कई कविताएं या बच्चों के ऐसे गीत हैं जो उन्हें भावनाओं से जोड़ते हैं,

  • ईफ यू आर हैपी ऐंड यू नो इट…(If you are happy and you know it…)
  • वेन आई हैप्पी, हैप्पी, हैप्पी, आई लाफ, लाफ, लाफ…(When I happy, happy, happy, I laugh, laugh, laugh…)

इसी तरह से आप सोशल मीडिया पर बच्चे के साथ नर्सरी की कविताएं या गीत सुन सकते हैं, जिनसे से अपने इमोशंस को आसान और मनोरंजक तरीके से पहचान पाएं। आप कोशिश करें कि इन गीतों और कविताओं पर आपके बच्चे भी ठीक वैसी ही क्रियाएं करें, जिनका जिक्र उनमें चल रहा हो।

छोटे बच्चों को सिखाने के लिए आपको उन्हें नए-नए शब्दों से भी परिचित करना होगा। कई बार बच्चे कुछ महसूस तो कर रहे होते हैं, लेकिन उनके पास उसे बताने के लिए सही शब्द नहीं होते। इसीलिए आप इन अलग-अलग गतिविधियों के जरिये अपने बच्चों को उनकी भावनाओं के लिए सही शब्द का इस्तेमाल करना भी सिखा सकते हैं।


TheParentZ provides Parenting Tips & Advice to parents.

About The Author:

Editorial Team

Last Updated: Mon Mar 22 2021

This disclaimer informs readers that the views, thoughts, and opinions expressed in the above blog/article text are the personal views of the author, and not necessarily reflect the views of The ParentZ. Any omission or errors are the author's and we do not assume any liability or responsibility for them.
Top